


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए पूरे देश में ज्ञान अभियान चलाया जा रहा है। पीएम मोदी के “एक पेड़ मां के नाम” अभियान से प्रेरित होकर प्रदेश में भी नई परियोजना शुरू की जाएगी।
राज्य सरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित कर रही है। जल गंगा संवर्धन अभियान के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बड़ी घोषणा की है।
प्रदेश में मनरेगा के माध्यम से “एक बगिया माँ के नाम” परियोजना चलाई जाएगी, जिसके अंतर्गत प्रदेश की 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह की पात्र महिलाओं की निजी भूमि पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाए जाएंगे। यह महिलाओं की आर्थिक प्रगति का आधार बनेगा।
30 हजार एकड़ निजी भूमि पर होगा पौधारोपण
प्रदेश की 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह की महिलाओं की 30 हजार एकड़ निजी भूमि पर “एक बगिया माँ के नाम” परियोजना के तहत पौधारोपण किया जाएगा। लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत से आजीविका संवर्धन के लिए 30 लाख उद्यानिकी पौधों का रोपण कर फलोद्यान विकसित किए जाएंगे।
परियोजना के तहत हितग्राहियों को पौधे, खाद, गड्ढे खोदने, पौधों की सुरक्षा के लिए कटीले तार की फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर जल कुंड बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके साथ ही महिलाओं को उद्यान विकास के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
15 अगस्त से शुरू होगा अभियान
“एक बगिया माँ के नाम” परियोजना के तहत फलदार पौधारोपण का कार्य प्रदेश में 15 अगस्त से अभियान के रूप में शुरू होगा और यह 15 सितंबर तक चलेगा।
फलदार पौधारोपण के लिए इच्छुक महिलाओं का चयन
परियोजना के तहत आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूह की ऐसी महिला सदस्य जिनके पास फलदार पौधारोपण करने की इच्छा हो, उनका चयन किया जाएगा। यदि महिला के नाम पर भूमि नहीं है, तो पति, पिता, ससुर या पुत्र की भूमि पर उनकी सहमति से पौधारोपण किया जाएगा।
अत्याधुनिक तकनीक से होगा स्थल चयन
पौधारोपण के लिए स्थल चयन अत्याधुनिक सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से किया जाएगा। इस तकनीक के माध्यम से हितग्राही की भूमि का परीक्षण, जलवायु और उपयुक्त फलदार पौधों का निर्धारण किया जाएगा। इसके अलावा, पौधारोपण का सही समय भी सॉफ्टवेयर के माध्यम से तय किया जाएगा। यदि भूमि उपयुक्त नहीं पाई गई तो पौधारोपण नहीं किया जाएगा।